राम ने अपनी पूरी ज़िन्दगी में सिर्फ एक महिला ( सीता ) को रावण से आज़ाद करवाया
और आज़ाद करवाने bên ngoài तुरंत बाद अग्निपरीक्षा bên ngoài नाम पर उसे भी आग में झोंक दिया ,
जबकि बाबा साहब ने बिना किसी वानर सेना की मदद bên ngoài सम्पूर्ण
भारत की महिलाओ को दिलवा दी आज़ादी ......
शूद्र का संपत्ति रखने आन्दोलन का भी तो कभी लक्ष्मी देवी ने चलाया ही नहीं !
शूद्र पढने लिखने का का भी आन्दोलन कभी सरस्वती देवी ने चलाया ही नहीं !
शूद्र bên ngoài अच्छे भोजन का
आन्दोलन भी कभी अन्नापूर्ण देवी चलाया ही नहीं ने !
तो फिर 33 करोड़ को नमन का क्या मतलब ?
33 के करोड़ सलाम हकदार बाबा साहब तो है !
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